पर्यावरण पर कविता-छुईमुई
कविता-पर्यावरण पर कविता- छुईमुई
एक बार की बात
लगाया उस पौधे पर हाथ
लजाई दूल्हन मानो रात
पूछा कैसा शरम हयात
मैंने क्या कर दी तेरे साथ?
शहमी ठहरी थी कुछ देर
फिर वह हल्की भरी हिलोर
तन के खड़ी हुई भर जोर
तब वह बोली मीठी बोल,
मेरा छुईमुई पहचान
लाजवंती क्यों मेरा नाम?
नाम से लाजवंती बदनाम
ऐसा किया कौन सा काम
शर्माउं मैं सुबहो शाम,
कितने घने थे जंगल वन...
एक बार की बात
लगाया उस पौधे पर हाथ
लजाई दूल्हन मानो रात
पूछा कैसा शरम हयात
मैंने क्या कर दी तेरे साथ?
शहमी ठहरी थी कुछ देर
फिर वह हल्की भरी हिलोर
तन के खड़ी हुई भर जोर
तब वह बोली मीठी बोल,
मेरा छुईमुई पहचान
लाजवंती क्यों मेरा नाम?
नाम से लाजवंती बदनाम
ऐसा किया कौन सा काम
शर्माउं मैं सुबहो शाम,
कितने घने थे जंगल वन...