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इक नदी ढलान में उतरती जा रही है...
ज़िन्दगी भी इस तरह गुज़रती जा रही है
इक नदी ढलान में उतरती जा रही है
लाश एक फूलों से लद चली जा रही है
खुश्बू हर तरफ बिखरती चली जा रही है
कोई याद आ गया बेवजह आज हमको
इक शिकन सी माथे पर उभरती जा रही है
एक लड़की गांव की जब से अफसर बनी है
बेटी की दशा सँवरती चली जा रही है
देखा जो किसी ने हमको नजर प्यार भर के
रू मरीज की सुधरती चली जा रही है
हो गई माँ और बीवी में फिर से है अन बन
सीने में छुरी उतरती चली जा रही है
संजय नायक"शिल्प"
© All Rights Reserved
इक नदी ढलान में उतरती जा रही है
लाश एक फूलों से लद चली जा रही है
खुश्बू हर तरफ बिखरती चली जा रही है
कोई याद आ गया बेवजह आज हमको
इक शिकन सी माथे पर उभरती जा रही है
एक लड़की गांव की जब से अफसर बनी है
बेटी की दशा सँवरती चली जा रही है
देखा जो किसी ने हमको नजर प्यार भर के
रू मरीज की सुधरती चली जा रही है
हो गई माँ और बीवी में फिर से है अन बन
सीने में छुरी उतरती चली जा रही है
संजय नायक"शिल्प"
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