...

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हमारी दोस्ती के नाम

क्या दोस्ती
हो सकती है

कॉफी
और
चाय में?

शहर
और
गांव में?

धूप
और
छांव में

और
हम तो
चुम्बक के
दो अलग
ध्रुव के जैसे थे

हमारे बीच
दोस्ती होना
कितना अस्वभाविक था

फिर भी
हम दोस्त बने
सबसे अच्छे दोस्त
अजनबी होने से पहले

हम खुद से ज्यादा
एक–दूसरे के थे

टूटे चुम्बक के
नए ध्रुव बनते हैं
पर वो पुराने
अलग अलग
जोड़े बनाते हैं
बिलकुल हमारी तरह

फिर भी
हम जितने दिन दोस्त रहे
उतने दिनो की
दोस्ती के नाम
एक कविता होनी चाहिए न !

दोस्ती मुबारक हो

©प्रिया सिंह
#जिंदगी_चलती_रहे
© life🧬