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एक ख्वाब देखा है मैंने
एक ख्वाब देखा है मैंने
घर को फिर से घर बनाने का
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बिखरे हुए फुलो को फिर से एक बार गुलदस्ते मे सजाने का
ये जो दूरियां आ गई है ना रिश्तो मे
प्यार से फिर हर किसी को साथ लाने का
एक ख्वाब देखा है मैंने
घर को फिर से घर बनाने का
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हां माना की जरा मुश्किल होगी
आसानी से कहा कुछ मिल पाता है
ओर जो मिल जाए आसानी से
फिर वो कोई चीज हो या रिश्ता अहमियत कहां पाता है
यही तो है कोशिश मेरा हर किसी को समझाने का
एक ख्वाब देखा है मैंने
घर को फिर से घर बनाने का
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दीवारो पर एक साथ सबकी हस्ती तस्वीर ही नही बल्कि
हर एक के दिलो को मुस्कान के साथ मिलाना है
जम गई है जो धुल गलतफ़हमी और गुस्से की
प्यार और माफी की बारिश से उस धुल को हटाने का
एक ख्वाब देखा है मैंने
घर को फिर से घर बनाने का
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कुछ ख्वाहिशो के बीज बोने है कुछ को दफनाना है
एक छोटा सा क्यारी अरमानो का
कुछ चाहतो के पौधे भी लगाना है
फिर से खाने की टेबल पर जल्दी वाला शोर हो
कोई ना बैठे अपने कमरे मे हो बन्द
शोर-शराबा फिर से चारो ओर हो
जरूरत है थोड़ा समझने का और थोड़ा समझाने का
एक ख्वाब देखा है मैंने
घर को फिर से घर बनाने का...!

आशीष सिंह
© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️