...

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# इल्जाम #
गर इल्जाम मुझपे है, मुकदमा उसपे भी चलाया जाए तो अच्छा होगा।
हसीन वो भी है, अकेला क़ुसूरवार मुझे न ठहराया जाए तो अच्छा होगा।
हुस्न -ए -शबाब है वो, मुझे शराबी करार न दिया जाए तो अच्छा होगा।
ताने कसे है ज़माने ने मुझपे, उल्फतों के किस्से उसके भी बताये जाए तो अच्छा होगा।
तोहमते लगी है मुझपे तेरी गली से गुजरने की, बज़ार जाने का रास्ता उसका भी बताया जाये तो अच्छा होगा।
तबस्सुम पे इल्जाम मेरी है, अदाओं पे तफतीसी उसकी भी होतो अच्छा होगा।
बेतरतीब हूँ मैं, तरीका उसको भी सिखाया जाये तो अच्छा होगा।
गुनहगार मैं हूँ तो, बराबर की सजा उसे भी सुनाई जाए तो अच्छा होगा।
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