...

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(मॉनसून का मौसम)
फिर बारिश ,फिर बूँदे
फिर वही मॉनसून का मौसम
एक परेशान सा मुसाफ़िर हाथो से, अपने सिर को ढकता है
किसी ने पकड़ी है छतरी ,बड़ी मजबूती से
जैसे सियासत की कुर्सी हो |
एक बच्चा निश्छल मुस्कान लिए भीगता है बारिश मे उसकी आँखो मे एक मासूम सा अरमान दिखता है |
बारिश थमी मुसाफ़िर अपनी मंजिल पर पहुँच चुका है
अब तो सियासत की छतरी भी बंद हो चुकी है
बच्चा मस्ती से अपने घर जा रहा है |
वक्त गुजरा सुबह से शाम हो गई
एक बार फिर मौसम ने अँगड़ाई ली
फिर बारिश ,फिर बूँदे
फिर वही मॉनसून का मौसम |
Pooja chauhan
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