...

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विशाद मुक्ति
धैर्य रख तू धैर्य रख ये दुख तो केवल आज है,
तेरी परीक्षा लेने के सिवा,
ईश्वर को और भी काम-काज है।
जीवन यदि संघर्ष लगे तो,
उस प्राणी को देखना तुझे आज है।
ना धन संपत्ति ना वस्त्र श्रृंगार,
जिसका लक्ष्य केवल अनाज है।
इस विशाल धरती का, बताओ करता कौन संचालन है। उत्तर है वह कमलचरण, जिनके शेषनाग आसन हैं।
जब जीवन डोर उनके हाथ में ,तो किस संकट से तू भयभीत है
रट ले ये गीत मेरे मित्र, मन के हारे हार है मन के जीते जीत है।
© Harshit Kumar