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सोच
ये सोच भी कितनी अजीब होती है
हर बार सोचने पर मजबूर कर देती है
कि जिनके बारे में हम सोचते हैं
क्या हम कभी उनकी सोच का हिस्सा बन पाएंगे?
हमारी एहमियत से वाक़िफ
उन्हें आख़िर कौन कराएगा?
क्या कभी हमारे प्रति उनके मन में
प्रेम का सागर उमड़ पाएगा?
बस इसी उम्मीद के सहारे
हमारा आज और कल टिका हुआ है
कि शायद कभी पिघले मन उनका भी
शायद हम कभी उनकी कहानी का
हिस्सा बनें
© Aphrodite
हर बार सोचने पर मजबूर कर देती है
कि जिनके बारे में हम सोचते हैं
क्या हम कभी उनकी सोच का हिस्सा बन पाएंगे?
हमारी एहमियत से वाक़िफ
उन्हें आख़िर कौन कराएगा?
क्या कभी हमारे प्रति उनके मन में
प्रेम का सागर उमड़ पाएगा?
बस इसी उम्मीद के सहारे
हमारा आज और कल टिका हुआ है
कि शायद कभी पिघले मन उनका भी
शायद हम कभी उनकी कहानी का
हिस्सा बनें
© Aphrodite
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