खोखली दीवारें
कहतीं आ,मुझे संवारें,
मन महल की,खोखली दीवारें।
क्योंकर झेलता "दंश"?
बना मजबूती को अपना अंश।
ले कर तू ऐसी "पुताई",
भांति "दीपोत्सव" जगमगाई।
कृत्रिम रंगों से...
मन महल की,खोखली दीवारें।
क्योंकर झेलता "दंश"?
बना मजबूती को अपना अंश।
ले कर तू ऐसी "पुताई",
भांति "दीपोत्सव" जगमगाई।
कृत्रिम रंगों से...