...

5 views

मोहब्बत के मैंखाने
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेर
मेरे अपने भी मुझसे अनजाने है
मगर सुरूर मेरी आंखो में तेरा अब भी बरकरार है
मेरे जर्रे जर्रे में तेरे फंसाने है
जब से हुई है आमद मेरी तेरे शहर में
तेरे दीवानों के तक हम दीवाने है
न अंदाजा है मुझे तीरंदाजी का तेरी
न पता है कहा तेरे निशाने है
तूही नशा है फितूर है जज्बाए मोहब्बत है
तेरी पेशी के ही हम दीवाने है
जो तू नही तो महफीले भी मातम है
तेरे साथ से ही रौशन ये मैखाने है
अब आया ही जिक्र तो कहलेने दे
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
मेरे ज़ेहन में बस तेरे ही ठिकाने है
और किसी रास्ते का मुसाफिर नही हु मै
तूही मंजिल है तुझ से मोहब्बत है मुझे
जब से हुई है आमद मेरी शहर मे तेरे