रक्षा बंधन
आज रक्षा बंधन का पर्व है आया।
मन में कितनी उमंग और उत्साह है लाया।।
बहुत याद आ रही है तेरी, ओ मेरे प्यारे भाई।
यह बता क्या तूने मेरी भेजी हुई राखी अपनी कलाई पर सजाई?
इस बार मैं नहीं हूं तेरे पास, अकेले ही राखी तुम बांध लेना।
मेरे भेजे हुए केसर रोली चावल के तिलक से अपने माथे को सज़ा देना।।
मैं यही बैठी तुम्हे हर खुशियां मिलने की दुआ दूंगी।
हां पर यह मत समझना में अपना राखी वाला गिफ्ट नहीं लूंगी।।
दूर हूं तो क्या उपहार तो मेरा अधिकार है।
इस छोटी छोटी नोक झोंक में ही तो भाई बहन का प्यार है।।
याद है तुम्हे भाई तुम कितना मुझे चिड़ाते थे।
पर यदि कोई और स्ताए तो उस से लड़...
मन में कितनी उमंग और उत्साह है लाया।।
बहुत याद आ रही है तेरी, ओ मेरे प्यारे भाई।
यह बता क्या तूने मेरी भेजी हुई राखी अपनी कलाई पर सजाई?
इस बार मैं नहीं हूं तेरे पास, अकेले ही राखी तुम बांध लेना।
मेरे भेजे हुए केसर रोली चावल के तिलक से अपने माथे को सज़ा देना।।
मैं यही बैठी तुम्हे हर खुशियां मिलने की दुआ दूंगी।
हां पर यह मत समझना में अपना राखी वाला गिफ्ट नहीं लूंगी।।
दूर हूं तो क्या उपहार तो मेरा अधिकार है।
इस छोटी छोटी नोक झोंक में ही तो भाई बहन का प्यार है।।
याद है तुम्हे भाई तुम कितना मुझे चिड़ाते थे।
पर यदि कोई और स्ताए तो उस से लड़...