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रक्षा बंधन
आज रक्षा बंधन का पर्व है आया।
मन में कितनी उमंग और उत्साह है लाया।।

बहुत याद आ रही है तेरी, ओ मेरे प्यारे भाई।
यह बता क्या तूने मेरी भेजी हुई राखी अपनी कलाई पर सजाई?

इस बार मैं नहीं हूं तेरे पास, अकेले ही राखी तुम बांध लेना।
मेरे भेजे हुए केसर रोली चावल के तिलक से अपने माथे को सज़ा देना।।

मैं यही बैठी तुम्हे हर खुशियां मिलने की दुआ दूंगी।
हां पर यह मत समझना में अपना राखी वाला गिफ्ट नहीं लूंगी।।

दूर हूं तो क्या उपहार तो मेरा अधिकार है।
इस छोटी छोटी नोक झोंक में ही तो भाई बहन का प्यार है।।

याद है तुम्हे भाई तुम कितना मुझे चिड़ाते थे।
पर यदि कोई और स्ताए तो उस से लड़ जाते थे।।

और अपने बड़े होने की धौंस दिखा अपने काम करवाते थे।
पर कोई और डराने की कोशिश करे तो मेरा हौंसला बढ़ाते थे।।

याद है, वो हर बार नया स्कूटर और नई बाइक लेने पर सब से पहले मुझे बिठाना।
हॉस्टल से जब वापिस थी आती, नौकरी से छुट्टी कर, यां बॉस से लड़ मुझे स्टेशन पर लेने आना।।

याद है वो हर छोटी बात, पहली gf , पहला वेलेंटाइन गिफ्ट, जो तुम मम्मा पापा से छुपाते थे।
पर गिफ्ट छुपाने की मदद मांगने तुम मेरे पास ही आते थे।।
अपने दिल के सारे जज़्बात तुम सिर्फ मुझे ही बताते थे।।

आज हम दूर है तो अपने राज़ साझे नहीं कर पाते।
पर अब भी मिलते है तो वहीं पागलपन कर, अपने बचपन में है लौट जाते।।

इसलिए यह राखी एक रेशम का धागा नहीं मेरे प्रेम की डोरी है।
बस दुआ है उस रब से को दुनिया भर की खुशियां दे और आपके स्वास्थ की जिम्मेदारी भी मैंने उस रब्ब पे छोड़ी है।।

मांगती हूं दुआ की कभी भी तुम्हे कोई आंच ना आए।
संसार की सारी खुशियां मिले, और तू सदा मुस्कुराए।।

Happy Rakshabandhan bhai..


© Vasudha Uttam