...

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आँखों में आँसू क्यों।
एक बात बताओ अब तुम मुझको , की तुम्हारी इन आँखों में आँसू क्यों।
जब छोड़ गई थी तुम अपनी मर्जी , से तो अब तुम बैठी उदास हो क्यों।

अब दिल में तुम्हारे उदासी , हर तरफ गम का अंधेरा और छाई तन्हाई क्यों।
हमने तो तुमसे सच्ची मोहब्बत की थी,फिर तुमने ही हमसे की बेवफाई क्यों।

ठुकरा कर मेरी मोहब्बत को तुम , खुद ही मुझे छोड़कर चली गई थी।
तुम्हारी खुशी के लिए ही छोड़ा मैंने तुम्हें ,बताओ इसमें मेरी क्या गलती थी।

जाते जाते तुमने मेरे दर्द को देखा ही ,नही और आज उसी दर्द में हो जी रही।
मेरे प्यार के जज्बातों का ,मजाक बना चली गई अब क्यों तुम हो पछता रही।

मोहब्बत हम तुमसे अब भी हद से , ज्यादा बेपनाह और बेशुमार करते हैं।
पर क्या फायदा ,अगर मैं तुम्हें अपना भी लूँ तो पहले जैसी बात कहाँ रहेगी।

एक बात बताओ अब तुम मुझको , की तुम्हारी इन आँखों में आँसू क्यों।
जब छोड़ गई थी तुम अपनी मर्जी , से तो अब तुम बैठी उदास हो क्यों।