...

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जंजीर तोड़ कर
#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हमराह
कोई तो मिलेगा सफर मे
एक कोशिश तो करो हाथ बढा कर
तजुर्बा इश्क का तब मिला
जब बिखर गया दिल टूट कर
कूछ तो था उसकी आँखों मे
ठहर गई जिन्दगी मेरी
उसकी कजरारी आँखें देख कर
अकसर लम्बे सफर की मंजिल नहीं होती
रूक जाते है कदम भी चलते चलते
उन झुर्रियों भरे रास्तों पर
जूगनू और तितलियाँ भी चली गई
मेरे आशियाने से बहूत दूर
काँच का पर्दा था मेरी आँखों पर
मै मंदिर- मसजिद के फेरो मे
खोया रहा रात दिन
वो जाने कब मुझ से जूदा हो गई रूठ कर ।
sangeeta ( chandny)
14/4/2022








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