महबूब की इनायत
जाने अनजाने हम उस
सफ़र में निकल गए
जिसकी कोई मंजिल नहीं
महबूब की इनायत जो हमपे हुई
ना चाहते हुये भी इश्क़
करने की गलती हमसे हो गयी
जब उससे बात होती है
दिल में तरंगें उठने लगते है
सांसे तेज होके धड़कने मचलने लगती हैं
ना जाने किस किस बात पे
दिल मेरा उसे दुआ देता है
मुझे प्यार से रोते को हँसाने वाला
...
सफ़र में निकल गए
जिसकी कोई मंजिल नहीं
महबूब की इनायत जो हमपे हुई
ना चाहते हुये भी इश्क़
करने की गलती हमसे हो गयी
जब उससे बात होती है
दिल में तरंगें उठने लगते है
सांसे तेज होके धड़कने मचलने लगती हैं
ना जाने किस किस बात पे
दिल मेरा उसे दुआ देता है
मुझे प्यार से रोते को हँसाने वाला
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