...

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Recreating "Ajeeb Daastaan hai ye"❣️
अजीब दास्तां है ये......
ये ज़िंदगी को देखो तो....
अजीब सी है कश्मकश....
न जाने किस मोड़ पे,
बने थे हम भी हमसफर......
अजीब दास्तां है ये.......कहां शुरू, कहां ख़तम....
ये मंज़िलें है कौन सी....ना वो समझ सके ना हम.....
ये ख्वाहिशें हज़ार क्यों....
ग़म तो एक ही है बस.....
की मन्नते जो मांगी है,
उन्हें पूरी कर दें रब....
अजीब दास्तां है ये....कहां शुरू कहां ख़तम.....
ये मंजिले है कौन सी....न वो समझ सके न हम....
Hope you enjoyed it!
Tc💖
aishpoetry1😊

© Jiya_^_wings🖋️✨