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विनिमय
#AncientDesire
मिटाने को जठराग्नि
जलाती है एक स्त्री
स्वयं के अस्तित्व को
विनिमय करती है अपने स्त्रीत्व का
कामाग्नि से जलता पुरुष
करता है क्रय जब
धन से
शूरू होती है वहीं से
एक सनातन संस्था
विनिमय की
अग्नि जलती है,
जलाती है दूसरी अग्नि को
और स्वतः दोनों भस्म करती हैं
एक दूसरे को
© Poeत्रीباز
मिटाने को जठराग्नि
जलाती है एक स्त्री
स्वयं के अस्तित्व को
विनिमय करती है अपने स्त्रीत्व का
कामाग्नि से जलता पुरुष
करता है क्रय जब
धन से
शूरू होती है वहीं से
एक सनातन संस्था
विनिमय की
अग्नि जलती है,
जलाती है दूसरी अग्नि को
और स्वतः दोनों भस्म करती हैं
एक दूसरे को
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