...

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लेख क्या कह रहे हैं :-
मैंने पन्नो से दिल लगा लिया है ,
कलम को अपना मान लिया है ,
हाथो से स्याही की बारिश करता हूं ,
जिसे कागज़ सीजो लिया करता है ।
कुछ देर यह बारिश रुक जाती है,
तो पन्ने मुझसे रूठ जाते हैं ।
फिर बाज़ार से खरीद लाता हूं,
तो पन्ने मेरे पास दौड़े आ जाते हैं ।
अक्सर चंचल ये पन्ने उड़ जाया करते हैं,
मेरे साथ हसीं के खेल खेला करते हैं ,
फिर अपनी यादों का बखान किया करता हूं,
कलम यह देख बेचैन हो जाया करता है ।
मेरी मन की बात वह समझ जाया करता है,
तो कुछ देर शांत हो जाया करता है ।
फिर एक लेख का जन्म हो जाया करता है,
जो पन्नो के गर्भ में ही यह कविता रचता है।

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