...

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गुज़र
किसी गुज़रे लम्हे ने फिर,
ज़हन के दरवाज़े को खटखटाया,
दरवाज़ा खुला तो एक बार फिर,
मैंने खुद को बिलकुल तनहा पाया।

जो भी गुज़रा वो खो गया,
कोई लम्हा वापिस न आएगा,
हर हसीन लम्हा अतीत हो गया,
अब कहां हमें...