...

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एक दिन दूर का एक रिश्तेदार उसके घर आया.....
एक दिन
दूर का एक रिश्तेदार
उसके घर आया
अपने संग
अपने दो सपूत भी लाया,
बहुत इतराया
सौ नखरे दिखाया
तुम्हारी तीन बेटियाँ
मैंने दो बेटे हैं पाया
तुम्हारी किस्मत फूटी
मेरी है किस्मत चमकी
ये कहके चिढ़ाया,
अब क्या करोगे तुम
कैसे इनका पेट भरोगे तुम
रुपया पैसा है नहीं
ना है कोई कमाने वाला
इनसे बिन दहेज विवाह करेगा कौन
बुढ़ापे में तुम्हारा सहारा बनेगा कौन,

इतनी कड़वी कड़वी बात
सुन रहा था उन तीन बेटियों का बाप
अचानक गुस्से में बोला
उसकी चिंता मत करिये आप,
जरूर मैं पिछले जनम
कोई पुन्य कर आया हूँ
तभी तो ऐसी बेटियों का
बाप बन पाया हुँ,
मेरी बेटियों को कुछ कहने से पहले
अपने बेटों को देख लो
ना अक्ल है ना सूरत
सीरत पर तो
सवाल ही मत पूछ लो,
खातिरदारी आपकी
और आपके लाडलों की बहुत हुई
अब वक्त हुआ जाने का
भूले भटके भी
ना गुस्ताखी करियेगा यहाँ आने का
आ भी गए तो खबरदार
जो हिम्मत की मेरी बेटियों को
कुछ सुनाने का
साज़ा दूँगा एसी की
रास्ता भी भूल जायेंगे
अपने घर जाने का।
© Sankranti chauhan

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