एक दिन दूर का एक रिश्तेदार उसके घर आया.....
एक दिन
दूर का एक रिश्तेदार
उसके घर आया
अपने संग
अपने दो सपूत भी लाया,
बहुत इतराया
सौ नखरे दिखाया
तुम्हारी तीन बेटियाँ
मैंने दो बेटे हैं पाया
तुम्हारी किस्मत फूटी
मेरी है किस्मत चमकी
ये कहके चिढ़ाया,
अब क्या करोगे तुम
कैसे इनका पेट भरोगे तुम
रुपया पैसा है नहीं
ना है कोई कमाने वाला
इनसे बिन दहेज विवाह करेगा कौन
बुढ़ापे में तुम्हारा सहारा...
दूर का एक रिश्तेदार
उसके घर आया
अपने संग
अपने दो सपूत भी लाया,
बहुत इतराया
सौ नखरे दिखाया
तुम्हारी तीन बेटियाँ
मैंने दो बेटे हैं पाया
तुम्हारी किस्मत फूटी
मेरी है किस्मत चमकी
ये कहके चिढ़ाया,
अब क्या करोगे तुम
कैसे इनका पेट भरोगे तुम
रुपया पैसा है नहीं
ना है कोई कमाने वाला
इनसे बिन दहेज विवाह करेगा कौन
बुढ़ापे में तुम्हारा सहारा...