...

12 views

रंग ख़ामोशी के

ये इल्म शायद मुझे मालूम हुआ इस बंदी के दौर में,
मुख्तलिफ रंग की होती है, न जाने क्यूँ ये ख़ामोशी ।

चिल्ला चिल्ला के टीचर्स कभी बच्चों को खामोश करते थे,
स्कूल की चारदिवारी में, छाई है अजब सी ख़ामोशी ।

पड़ोसी के बच्चों का शोर-गुल और जो आवाज़ें आती थी,
रहता है पड़ोस में शायद कोई, या यूँही पसरी है ख़ामोशी ।

रास्तों में दौड़ा करती थी, कभी गाड़ियाँ एक दूसरे की होड़ में,
एक दूसरे को देख मुस्कुराती है, बस यूँही उनकी ख़ामोशी ।

फंगस की क्या बात करे, चुपके से आ गया हमारे शहरों में,
रंग अपने बदल रहा है देखो, हकीमों और डॉक्टरों में है ख़ामोशी ।

हर लम्हा टीवी पे सियासत दानो की सिर्फ बहस होती है,
जवाबदारी जिन हाकिमों की है, लबो पे उनके है सिर्फ ख़ामोशी ।

तरस गए है सभी लोग एक दूसरे से गुफ़्तुगू करने को "रवि",
पकड़ मोबाइल को हाथो में, सभी घरो में बनी है ख़ामोशी ।

राकेश जैकब "रवि"