दूर जाना चाहती हूं
जिंदगी की इस कश्मश से
रिश्तों के इस दोगलेपन से
मै सब से दूर जाना चाहती हूं
जहां चारो तरफ सिर्फ तन्हाई
हो , जहां सुबह की कोई किरण
ना...
रिश्तों के इस दोगलेपन से
मै सब से दूर जाना चाहती हूं
जहां चारो तरफ सिर्फ तन्हाई
हो , जहां सुबह की कोई किरण
ना...