...

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दूर जाना चाहती हूं
जिंदगी की इस कश्मश से
रिश्तों के इस दोगलेपन से
मै सब से दूर जाना चाहती हूं
जहां चारो तरफ सिर्फ तन्हाई
हो , जहां सुबह की कोई किरण
ना आई हो मै उस गुमनाम
अंधेरे में कही खो जाना चाहती हूं
हां मै आप सब से दूर इतनी दूर जाना
चाहती हूं
की फिर कोई तलाश ना पाए
मुझे ..... इतनी गहरी नींद में सो
जाना चाहती हूं की फिर कोई
शोर ना जगा पाए मुझे …........।