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जन्म से जिसने
जय श्री सीताराम
महिला दिवस की सभी नारी शक्तियों को सादर नमन व् कुछ पंक्तिया समर्पित
जन्म से जिसने अपने पालन में फर्क समझा ..
हर चीज बात के लिए खुद को पीछे रखना दबाता समझा ..
हर इच्छा चाह को आज़ादी पाबंदी के बिच भेदभाव में खुद को पिस्ता देखा ..
मान मर्यादा के आँचल में खुद को चला बड़ा कर मन मार बहलाके जिसने अपने गुणों को दबा कर परिवार की खुशी को पहली तर्ज़ सर पर रखा ..
उस परिवार की धरकन स्त्री ने अपना सर्वस्व अपने को झोक सबके जीवन को आबाद रोशन खुशहाल रखा ...
उस नारी शक्ति ने हर पल हर दिन हर वक्त खुद को कभी पुरुष से पीछे ..
न फर्श पर कम न अर्श पर खुद को कम रखा
जन्म से जिसने अपने पालन में फर्क समझा ..
आकिंचन रवि
महिला दिवस की सभी नारी शक्तियों को सादर नमन व् कुछ पंक्तिया समर्पित
जन्म से जिसने अपने पालन में फर्क समझा ..
हर चीज बात के लिए खुद को पीछे रखना दबाता समझा ..
हर इच्छा चाह को आज़ादी पाबंदी के बिच भेदभाव में खुद को पिस्ता देखा ..
मान मर्यादा के आँचल में खुद को चला बड़ा कर मन मार बहलाके जिसने अपने गुणों को दबा कर परिवार की खुशी को पहली तर्ज़ सर पर रखा ..
उस परिवार की धरकन स्त्री ने अपना सर्वस्व अपने को झोक सबके जीवन को आबाद रोशन खुशहाल रखा ...
उस नारी शक्ति ने हर पल हर दिन हर वक्त खुद को कभी पुरुष से पीछे ..
न फर्श पर कम न अर्श पर खुद को कम रखा
जन्म से जिसने अपने पालन में फर्क समझा ..
आकिंचन रवि
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