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ग़ज़ल:-शाम पाई तो ढल के देखेंगे
राह अपनी बदल के देखेंगे
ठोकरों पर संभल के देखेंगे
क्या पता था वो दिन भी आएगा
हम भी कांटों पे चल के देखेंगे
बन के परवाना ईश्क में तेरे
भस्म होने को जल के देखेंगे
दर्द बांटेंगे लोग लोगों के
जब खुदी से निकल के देखेंगे
बावफा थे तो शाम पाई है
शाम पाई तो ढल के देखेंगे
उनको एहसास ए हाल होगा फिर
जब वो मिसरे ग़ज़ल के देखेंगे
वो अनन्या जिन्हें अना है बहुत
एक दिन हाथ मल के देखेंगे
© Ananya Rai Parashar
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