...

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पा रहा हूं, खो रहा हूं।
पा रहा हूं, खो रहा हूं।
खामोशी की आवाज हो रहा हूं।
इन सनाटो के आगे क्या है?
जान पाया कोई ?
चांद को पा लिया, खुद को जान पाया कोई ?
अगर हाँ तो बताओ
क्यु जी रहे हैं मरने के लिए ?
या मर रहे हैं जीने के लिए ?
सब भिन्न है सब समान है।
कुदरत भगवान है और वही बेईमान है।
पृथ्वी भर दी लोगों से और खाली चांद का गुमान है।
पा रहा हूं, खो रहा हूं
खामोशी की आवाज हो रहा हूं।