...

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जबाब


"अब मैं जबाब नहीं देता "

भूली बिसरी यादो के तल में
या फिर आने वाले सुनहरे पल में !
अब मैं ख्वाब नहीं बोता
नींद में जाकर भी मै
सपनो में नहीं खोता !
अब मैं "जबाब" नहीं देता ....

रंग बिरंगी दुनिया हो या
कलरव करती चिडिया हो ..
अहसासो के जंगल में
अब कोई बीज नहीं बोता
अब मैं "जबाब" नहीं देता....


अपनो का साया भी अब साथ नहीं होता !
उनकी भी यादो के सागर में
अब मैं वक्त नहीं खोता..
जाने वालों को मै भी
अब "आवाज" नहीं 'देता !
अब मैं जबाब नहीं देता.....


© रविन्द्र "समय"