...

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भारतमां तुझपे सब कुर्बान है...!
एक देश है,
भिन्न भिन्न वेश हैं,
यहां हर संस्कृती का समावेश है,
ये हमारी भारतमां है,
भारतमां तुझपे सब कुर्बान है...!

आनंद और हर्ष से चमकता है
भारतमां तेरा गगन,
सत्य और पवित्र सी है धरती,
गंगा,यमुना, सरस्वती ये मां है बहतीं,
हर एक की ये प्यास बुझातीं,
भारतमां तू है तो हम है,
जितना भी लिखूं कम है,
भारतमां तुझपे सब कुर्बान है...!

यहां सब अलग हैं,
फिर भी हम एक हैं,
भिन्न है भाषा,पर
मां, तेरी परिभाषा एक हैं,
मां जब संकट आहे तुझपे,
तो हाथों में हाथ डाल के
खड़ें हो जातें हैं तेरे बेटे,
ना कोई झगड़ा ना कोई मनभेद,
सब तेरे लिए हो जाएं एक,
भारतमां तुझपे सब कुर्बान है...!

हर दिन उत्सव की तरह हम मनाते हैं,
तेरी मिट्टी से विजय तिलक लगातें हैं,
मां तेरे बेटे सरहद पर शीष नवातें हैं,
भारतमां कितने खुशनसीब होंगे वे,
जो परमवीर तिरंगे में लिपटे आतें है,
मां कितने महानवीर होंगे वो,
जो तुझे अपने रक्त का एक बूंद भी दे सकें,
भारतमां तू ही गुरूर है,
तुही हमारा प्रेम...