...

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नदी


नदी की कल-कल ध्वनि, जैसे अप्सरा की हँसी,
चंचल जल की छवि, जन जन के हृदय में बसी ।
मोती-से कंठों पर खेलते हैं रत्न जले,
नदिया की गोद में, सपनों के रंग छलके।


चाहे चाँदनी रात हो, या सूर्य की पहली किरण,
तू है जीवन धारा, जीवंत है तुझसे हर क्षण।
सुनहरी रेत पर नृत्य करतीं, लहरों की लोरियाँ,
तू है जीवन का गीत, अनगिनत खुशियों की गोरियाँ।

पर्वतों से उतर कर, तू सागर की ओर जाती,
रिश्तों की मिठास में, प्रेम की भाषा सिखाती।
जैसे प्रेमिका के अंचल में, छलक उठे है नीर,
वैसे तू बहती है, मधुरता से भरा हर तीर।


संध्या के समय, जब रंग बिखरते आसमान में,
तू बाँधती है पलकों को, सपनों की किमिया का गहना मान में।
तेरे जल की चाँदनी में, मन के गहरे राज़ छिपे,
जैसे कविता की रचनाओं में, अनकही बात बनी हुई।



#writcopoem #nature @priy2382 @kajal




© Priyansh Honey Varshney