...

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वो हाथ...
हर कदम साथ चलते , कहीं गिरते कहीं संभलते,
हर बार जिसने मुझे थामा वो है तुम्हारा हाथ,
सर्दी की धूप हो चाहे , चाहे गर्मी की छांव,
बारिश की बूंद हो चाहे , हो चाहे कहीं ठहराव,
हर ठोकरों से जिसने बचाया वो है तुम्हारा हाथ,
पता है कितना सुकून मिलता है तुम्हारा हाथ थामने में,
नही है इतना सुकून अरजीत सिंह के गाने में,
मुझे हर लम्हा हर घड़ी, जिसकी तलब है लगी, वो है तुम्हारा हाथ,
याद बहुत आता है तुम्हारे साथ चलना,
इतना लंबा सफर भी छोटा लगना,
हैरान होकर हमारी उंगलिया जिन उंगलियों को थामने के लिए बेकरार रहती हैं,
वो है तुम्हारा हाथ।

© nainshi anand