#अधूरी मुहब्बत की दास्तां सुनाने आए हैं
अधूरी मोहब्बत की दास्ताँ सुनाने आये हैं
बिखरे फूलों को फिर से खिलाने आये हैं
आँसुओं का सैलाब कब का सूख गया था
आँखों को फिर बरसात से मिलाने आये हैं
मोहब्बत में खायी थी हमने भी कई क़समें
उन झूठी क़समों में फिर से उलझाने आये हैं
दिल का उफ़ान अभी ख़ामोश भी ना हुआ
अपने बीते...
बिखरे फूलों को फिर से खिलाने आये हैं
आँसुओं का सैलाब कब का सूख गया था
आँखों को फिर बरसात से मिलाने आये हैं
मोहब्बत में खायी थी हमने भी कई क़समें
उन झूठी क़समों में फिर से उलझाने आये हैं
दिल का उफ़ान अभी ख़ामोश भी ना हुआ
अपने बीते...