...

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इक तस्वीर से मुलाकाते...।
इक तस्वीर से मुलाकाते, अधूरी हुई है।
नशा छाई थी उन पर ओरो के, वो मजबूर हुई है।
फिर भी उसे पाने के लिए, मेरी नज़रे निहारती रही।
ख्वाहिशें थी दिल में दफन, उससे इशारा करती रही।



फटी थी वो तस्वीर बेखौफ मोहब्बत में, तन्हा रहकर।
जब उसे मैं अपनाना चाहा, वो गिर गई तखत से झुककर।
वो गैर हो चुकी थी, वो दूसरों के हाथ में...