रुख़सत
राख़ होने लगा था,
मुद्दत तक,
सुलगने के बाद,
जाने किसने हवा कर दी,
बढ़ते-बढ़ते,
मेरा मर्ज़,
हो चला था लाईलाज,
जाने किसने दवा कर दी,...
मुद्दत तक,
सुलगने के बाद,
जाने किसने हवा कर दी,
बढ़ते-बढ़ते,
मेरा मर्ज़,
हो चला था लाईलाज,
जाने किसने दवा कर दी,...