"मजबूर मोहब्बत",,,
खिड़कियों से झांकता है वो,
मुझे एक नज़र देखने को,
नज़रे मेरी भी तरसती हैं,
उसके दीदार को,,
चाहती हूँ मैं पलटना,
मगर पलट नहीं सकती,
मजबूर ऐसी कि,
उसकी तरफ रुख कर नहीं सकती,,
जानती हूँ, वो इश्क करता है मुझसे,
मगर मैं...
मुझे एक नज़र देखने को,
नज़रे मेरी भी तरसती हैं,
उसके दीदार को,,
चाहती हूँ मैं पलटना,
मगर पलट नहीं सकती,
मजबूर ऐसी कि,
उसकी तरफ रुख कर नहीं सकती,,
जानती हूँ, वो इश्क करता है मुझसे,
मगर मैं...