...

8 views

ख़ुश हो लेता हूँ
#LittleThings
क़लम से बहाकर अपना दर्द, दिल हल्का कर लेता हूँ ,
कवि हूँ, अपनी कविता की तारीफ़ से ख़ुश हो लेता हूँ।
नहीं चाहिए मुझको धन-दौलत, सोना-चाँदी,
कोई दे दे क़लम, काग़ज़ और दवात तो ख़ुश हो लेता हूँ।

गाड़ी, बंगला और ऐश्वर्य के साधनों की चाहत नहीं है,
रूखी-सूखी मिल जाए पेट भरने को तो ख़ुश हो लेता हूँ।
इश्क़-मोहब्बत की आरज़ू नहीं है मुझको,
बस दो शब्द किसी से हमदर्दी के सुनकर ख़ुश हो लेता हूँ।

सम्मान और पुरस्कारों की आकांक्षा नहीं है मन में,
जज़्बात बयाँ करने के लिए लिखता हूँ और ख़ुश हो लेता हूँ।
जानता हूँ वक़्त की फ़ितरत, वो हमेशा एक जैसा नहीं रहता,
सुख-दुःख आते रहते हैं जीवन में, हर हाल में ख़ुश रह लेता हूँ।

- दुर्गाकुमार मिश्रा



© दुर्गाकुमार मिश्रा