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🙏इंसानियत का पिछड़ापन🙏

न हो मौसम मनभावन तो कोई नहीं देखता,
भीगे नयनों का सावन अब कोई नहीं देखता..

आज हर कोई तलबगार है बाहरी सजावट का,
अंदर का बिखरापन अब कोई नहीं देखता..

ये महफ़िलों का दौर‌ है , हर तरफ़ बस शोर है,
दिलों का सूनापन अब कोई नहीं देखता..
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