...

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वो श्रमिक है जनाब
वो श्रमिक है जनाब
कब से अधूरे हैं उसके ख्वाब
कब सही होंगे हालात
कौन समझेगा उनके जज़्बात
कैसे कटते हैं उनके दिन और रात
कब आएगी रोटी कब मिटेगी पेट की आग
बच्चें उनके भूख की जंग में,
कैसे सीखेंगे शिक्षा के राग
जिंदगी की जद्दोजहद में,
कब होगा उनका हिसाब
कौन खोजेगा उनके लिए
इन सवालों के जवाब
पर, वो श्रमिक है जनाब
वो लड़ेंगे चाहे जैसे हों हालात।
-Kundan Victorita