दास्ताँ
दिलो का काफिया मिलाती
हर्फो की सर्गोशिया सुनाती...
इश्क-ए-हकीकी दास्ताँ सी
मुकद्दस अजा़न सी बुलाती...
तरन्नुम मे हलके से पुकारती
कभी...
हर्फो की सर्गोशिया सुनाती...
इश्क-ए-हकीकी दास्ताँ सी
मुकद्दस अजा़न सी बुलाती...
तरन्नुम मे हलके से पुकारती
कभी...