।। अशुद्ध संसार.... ।।
"मैं जिस दिन किताब लिखूंगा
तो उसमें कोई भेद भाव नहीं रखूंगा ।"
- Dr. बी आर अंबेडकर
न जाने ये किस संसार कि रचना है
अपना होकर भी नहीं कोई अपना है
विशाल दिपक सा रोशनी तो देता है
पर आंगन में इसके देखो अंधेरा सा रहता है
जना गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
कोई पंजाब, सिंध, गुजरात और मराठा
नहीं एक किसी कि है भाषा
तू है ही क्या, औकात है क्या
मैं राजा हु और तू है मेरी प्रजा
नहीं तेरा और मेरा कोई मेल है
यही तो भाई ऊंची और निंची जाती का खेल है
गर गौर से पढ़ोगे तुम भागवत गीता
तो समझ...
तो उसमें कोई भेद भाव नहीं रखूंगा ।"
- Dr. बी आर अंबेडकर
न जाने ये किस संसार कि रचना है
अपना होकर भी नहीं कोई अपना है
विशाल दिपक सा रोशनी तो देता है
पर आंगन में इसके देखो अंधेरा सा रहता है
जना गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
कोई पंजाब, सिंध, गुजरात और मराठा
नहीं एक किसी कि है भाषा
तू है ही क्या, औकात है क्या
मैं राजा हु और तू है मेरी प्रजा
नहीं तेरा और मेरा कोई मेल है
यही तो भाई ऊंची और निंची जाती का खेल है
गर गौर से पढ़ोगे तुम भागवत गीता
तो समझ...