...

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लौट भी आओ...
तुमसे जुदा होकर भी तेरा अहसास नहीं जाता,
तुम्हारे कहने से ही संभला रहा अब तक,
लौट भी आओ अब और सहा नहीं जाता;
मालूम है हमें मोहब्बत में जुदाई आम है,
पर तुम्हारे जाने का भी तो ऐतबार नहीं आता;
ख्वाबों -खयालों में तो तुमसे रोज मिलता हूं,
पर तुम्हारे न होने की हकीकत से सामना नहीं होता;
निभाएंगे कस्में -वादे यूं ही उम्रभर,
तुम्हारे उन वादों पर अब ऐतबार नहीं होता;
तुम्हारे खत अब भी संभाल रखे हैं हमने,
हजारों बार पढ़ने पर भी बिन पढ़े रहा नहीं जाता;
लौट भी आओ,अब और सहा नहीं जाता...
© Naren07