...

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माया की दुनिया
कुछ अलग नहीं है दुनिया से मेरी बर्बादी की दास्तान,
अपने कर्मों की वजह से ही हूं आज मैं इतना परेशान,
मैंने अपने हाथों ही खुद की खुशीयों को पहुंचाया है श्मसान,
झूठे सपनों के पीछे मैंने गवां दी अपनी सारी पहचान,
शुक्र है भगवान भोलेनाथ का जो कर दिया एक एहसान,
मुझे भक्ति की राह पर चलाकर तोड़ दी मेरे पापों की कमान,
काश मैं पहले ही समझ जाता कि मैं तो हूं दुनिया में इस जन्म का मेहमान,
तो अब तक तो झूठी काया माया से पीछा छुड़ाकर बन जाता इंसान।
© DEV-HINDUSTANI