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अबूझ पहेली।
तुम इतनी शिष्ट क्यों हो
लगती विशिष्ट क्यों हो।
मैं तुम्हें पढ़ भी नहीं सकता
तुम इतनी क्लिष्ट क्यों हो।
तुम साहित्य की परिभाषा हो
या मेरी जीवन प्रत्याशा हो।
या हो कोई अबूझ पहेली
या फिर मेरी अभिलाषा हो।
क्या हो तुम मेरा ये प्रश्न हल कर दो
अपनी भाषा में ही दो
पर मुझ को प्रिय तुम उत्तर दो।
© Paarijaat_Ved वेद
लगती विशिष्ट क्यों हो।
मैं तुम्हें पढ़ भी नहीं सकता
तुम इतनी क्लिष्ट क्यों हो।
तुम साहित्य की परिभाषा हो
या मेरी जीवन प्रत्याशा हो।
या हो कोई अबूझ पहेली
या फिर मेरी अभिलाषा हो।
क्या हो तुम मेरा ये प्रश्न हल कर दो
अपनी भाषा में ही दो
पर मुझ को प्रिय तुम उत्तर दो।
© Paarijaat_Ved वेद
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