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जब रघुवीर सहाय करे
कुरुखेत मंझे रणखेत मंडा, हथियार बड़ा टणकार करें।
टिटहोरी दिया उण ठौर अंडा,हरी आय बचाय उद्धार करे।
गज के गल घंट गीराय दियो,इंड उपर जाय जमाय घरे !
जिनकी रघुवीर सहाय करे,कोऊ और सहाय करे न करें।
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भूल से न्याह्व चीणाय दियो,कुंभ माँही मंझारी के पूत धरे।
निरदोस के प्राण बचाय हरी, सिरिया श्री राम पुकार करे।
तप तेज में शीतलता भरके,कुंभ मांही मंझारी का केल करे।
जिनकी रघुवीर सहाय करे,कोऊ और सहाय करै न करें ॥
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हार गए पति पाँच बली,दुर्योधन खूब अटहास करे।
द्रोण पितामह भीष्म गुरुकृप,पर कौरव मिल उपहास करे।
सभा में बुलाय के चीर हरे तब,द्रोपदी आर्त पुकार करे।
जिनकी रघुवीर सहाय करे,कोउ और सहाय करे न करे।।
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रूची नाम भजे भगवान को बालक,शाला मे जाय प्रचार करे।
वरजत नाही रुक्यो हट्ठी बालक, राम ही राम पुकार करे।
भूप भयंकर कोप कियो तप तेज मे खंभ तैयार करे।
जिनकी रघुवीर सहाय करे, कोउ ओर सहाय करे न करे।।
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बाथ भरो तुम आय यहाँ पर देखूँ यहाँ कौऊ पार करे।
मातु कयाधु भरे जललोचन,सुत प्राण बचाओ पुकार करे।
चींटी चलाय दिखाई तहाँ, प्रहलाद के घट विश्वास भरे।
जिनकी रघुवीर सहाय करे,कोऊ और सहाय करे न करे ।।
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जाय के बाथ भर्यो खम्भ को तब नाद भयंकर गाज करे।
डगमग डोल गई धरती खम्भ फार न्रसिंग हुंकार भरे।
प्रहलाद को गोद बैठाय पुनि, हिरणाकुश जाय संहार करे।
जिनकी रघुवीर सहाय करे, कोऊ और सहाय करे न करे।।
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