...

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कटाक्ष
मूक है , मूर्छित है
पर निष्प्राण नहीं है
कठोर अवश्य है
पर
पाषाण नहीं है
केवल दंड ही
अस्तित्व का
प्रमाण नहीं है
बिना कटाक्ष भी
प्रेम का
गुणगान नहीं है
© Ninad