...

4 views

प्यार/ प्रेम
उम्र के हर पड़ाव पर इसका रुप अलग
पर हर अंदाज है इसका अनोखा
प्रेम, प्यार, इश्क़ हो या कहलाए मोहब्बत
किसी का रब, किसी के लिए धोखा

सबसे निश्छल रुप में मिलता
ये तो बस माता-पिता से ही
जिंदगी की हर राह में संबल
गिरने देता नहीं कभी कहीं

युवावस्था में यारो-दोस्तों की मोहब्बत
बनती जिंदगी जीने का जरिया
मिलने -बिछड़ने के जो आते मौसम
बदल देती इंसान को और उसका नज़रिया

फिर एक मोड़ आता इश्क़ का
अफ़लातून, अपने में तूफ़ानी
लगता टकरा सकते हैं सबसे
पुर-जोश होती है रगों में रवानी

कोई चहरा ख़ास रह जाता बस कर
दिल के सबसे गहरे कोने में
समन को पा लेना ही फकत चाहे
ना जागे मिलता चैन, ना सोने में

आगे के जीवन के पड़ाव में जब बढ़ते हैं कदम
प्रेम बंट जाता पूरे परिवार में, जीवनसाथी सर्वप्रथम
खुशियों के हिंडोले झूलता जीवन
गमों का भी कर लेता सामना, साथ हमदम

यार-दोस्त घर-परिवार के दायरों में
होता रहता प्यार परिभाषित
कभी तुलता भावनाओं के तराजू
कभी पक्षपाती होता निज हित

होने लगता जब शरीर जर्जर
बूढ़ी हड्डियों में नहीं रह जाता दम
तब आती याद उस परम परमेश्वर की
भुलाया जिसको बन अधम

किसी रूप में, किसी भी वय में
हर प्रकार से है प्यार सर्वोपरि
चाहे रूप माता-पिता का, परिवार
मित्र, प्रियवर...या हो हरि

© Reema_arora