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प्रकृति मुझसे कुछ कहती है
ये प्रकृति मुझसे कुछ कहती है
पल पल मुझे हँसाती है
हवा मुझसे अपने संग बहने को
कहती है
अपने भावों को बताने को कहती है
ये नदियाँ मेरे मन की आवाज़ को सुन सर सर बहती रहती हैं
मेरे जज़्बातों को प्रकट करती हैं
पत्तों का पतझर दिल को हल्का करता है
मेरे अहसासों को बाहर निकालता है
सावन की रिमझिम बूँदें मेरे नैनों को
बह जाने को कहती है
मन में एक नई उमंग भर देती हैं
फूलों की कलियाँ मुझे खिल कर हँसना सिखाती है
हर गमगीन माहौल में जीना मुझे सिखाती है
हरे भरे पेड़ पौधे एक नवीन स्वप्न का निर्माण कराते हैं
और गिरकर मुझे उठना सिखाते हैं
ऊँचे ऊँचे पर्वत मुझे हर संकट से बचाते हैं
काँटों पर चलना सिखाते हैं
देखो ये प्रकृति कितना कुछ हमे बताती
पल पल हमें हँसाती है।
© hemasinha
पल पल मुझे हँसाती है
हवा मुझसे अपने संग बहने को
कहती है
अपने भावों को बताने को कहती है
ये नदियाँ मेरे मन की आवाज़ को सुन सर सर बहती रहती हैं
मेरे जज़्बातों को प्रकट करती हैं
पत्तों का पतझर दिल को हल्का करता है
मेरे अहसासों को बाहर निकालता है
सावन की रिमझिम बूँदें मेरे नैनों को
बह जाने को कहती है
मन में एक नई उमंग भर देती हैं
फूलों की कलियाँ मुझे खिल कर हँसना सिखाती है
हर गमगीन माहौल में जीना मुझे सिखाती है
हरे भरे पेड़ पौधे एक नवीन स्वप्न का निर्माण कराते हैं
और गिरकर मुझे उठना सिखाते हैं
ऊँचे ऊँचे पर्वत मुझे हर संकट से बचाते हैं
काँटों पर चलना सिखाते हैं
देखो ये प्रकृति कितना कुछ हमे बताती
पल पल हमें हँसाती है।
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