...

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रहने दे...
कभी-कभी दिल को अपनी मनमर्ज़ी करने दे,
कभी-कभार यूँ उसे पागल हो लेने दे,
अलबत्ता हर कहानी का अंजाम तय क्यों हो?
कुछ देर पतंग को माँझे से यूँ बेखौफ़ रहने दे...

साँझ के दिलकश नज़ारे को बस...