...

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चले गए
हमने तो सोचा था वो आएंगे
हमारे हुस्न की तारीफ में कसीदे पढ़ेंगे
हमारी जुल्फों की तारीफ करेंगे कि
उलझे उलझे किसी नाज़नीन के बालों की तरह
हम तो आवारा है शायर के ख्यालों की तरह
मगर उन्होंने तो न कसीदे पढ़े
न जुल्फ-ए परिशां सुलझाइ
बस हमें हसरत देखा और चले गए ।

हमने तो सोचा था वो आएंगे
इश्क -ओ मुहब्बत की बातें होंगी
दर्द -ओ-दिल की बातें होंगी और
वो बेबसी से चुप सुनते रहे जायेंगे
हम रूठेगें और वो मनायेंगे
मगर उन्होंने तो न मुहब्बत की बातें की
न हमें मनाया न दामन ही पकड़ा
बस गुम सुम से आए और
दामन बचा कर चले गए

हमने तो सोचा था वो आयेंगे
हम शिकवा करेंगे शिकायत करेंगे
इतने दिनों तक न मिलने का सबब पूछेंगे
अब कभी न मिलने की धमकी देंगे
मगर न शिकवा हुआं न शिकायत ही सुनी बस
वो आए बैठे और मुस्कुरा कर चले गए
© सरिता अग्रवाल