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मेहमान जज़्बात
बंजारे से जज़्बात,
हैं अमूल्य ईश्वरीय सौग़ात।
कभी थकन से चूर,
ओढ़े "कफ़न" खोंये चेहरे का नूर।

कहीं लबरेज़ कांति,
करते भंग हृदय की "शांति"।
चूडियों संग पायल,
अहसासों को करते मिल घायल।
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