काश होते अगर तुम भी मुझ जैसे तो
काश होते अगर तुम भी मुझ जैसे तो
रात की बात होती अलग ही अलग।
देखते हम तुम्हें, देखते तुम हमें
देखते सुबह होती अलग ही अलग।
काश होते अगर तुम भी मुझ जैसे तो
रात की बात होती अलग ही अलग।
सुबह होती शुरू मेरी तुमसे ही बस,
शाम भी बस तुम्हारी ही बातों में होती।
कुछ अधूरा जो बचता तो भी ग़म ही क्या था,
बाकी सारी बातें फिर रातों में होती।
हम...
रात की बात होती अलग ही अलग।
देखते हम तुम्हें, देखते तुम हमें
देखते सुबह होती अलग ही अलग।
काश होते अगर तुम भी मुझ जैसे तो
रात की बात होती अलग ही अलग।
सुबह होती शुरू मेरी तुमसे ही बस,
शाम भी बस तुम्हारी ही बातों में होती।
कुछ अधूरा जो बचता तो भी ग़म ही क्या था,
बाकी सारी बातें फिर रातों में होती।
हम...