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अंसुवन धार...
मन में बसे मेरे अभिराम,
तन बस जपे "शिव" का नाम,
आँखियन बहे अंसुवन धार,
मुख ललाट चंदन यादगार,
केश कुंज हुए पुष्प सुशोभित,
स्मृति व्याख्या करे नियोजित....
भावार्थ:-
मेरे महादेव!!
मेरे चित्त में बस आप ही विराजित हैं,
ये मिट्टी की काया बस आपका ही नाम जपती है,
दुख हो या सुख,ये आँखें सिर्फ़ आपकी ही ओर बहती हैं,
मुख पर मेरे आपको समर्पित चंदन और अक्षत सुसज्जित है,
केश मेरे आपको अर्पित किए फूलों से सुशोभित हैं,
आपका प्रकाश मेरी स्मृति को पूर्व नियोजित किए हुए है,
और ये जग मेरी आपकी जोगन के रूप में व्याख्या करता है....
तुम्हारी शिवप्रिया....
© Tarana 🎶
तन बस जपे "शिव" का नाम,
आँखियन बहे अंसुवन धार,
मुख ललाट चंदन यादगार,
केश कुंज हुए पुष्प सुशोभित,
स्मृति व्याख्या करे नियोजित....
भावार्थ:-
मेरे महादेव!!
मेरे चित्त में बस आप ही विराजित हैं,
ये मिट्टी की काया बस आपका ही नाम जपती है,
दुख हो या सुख,ये आँखें सिर्फ़ आपकी ही ओर बहती हैं,
मुख पर मेरे आपको समर्पित चंदन और अक्षत सुसज्जित है,
केश मेरे आपको अर्पित किए फूलों से सुशोभित हैं,
आपका प्रकाश मेरी स्मृति को पूर्व नियोजित किए हुए है,
और ये जग मेरी आपकी जोगन के रूप में व्याख्या करता है....
तुम्हारी शिवप्रिया....
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