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ज़िम्मेदारियों के शोर में...
तुम्हारी झुमकियाँ
पायल और
नन्हीं ये बिंदिया तुम्हारी
तुम सँग
इनसे भी दिल ने
दिल की बात
बताई है
तुम्हारे मन से ज्यादा
अपना ये
मुझे जानती हैं
तुम्हारे बक्सों में कैद
अक्सर ये
नाम मेरा पुकारतीं हैं
तुम सुन नहीं पाती
ज़िम्मेदारियों के शोर में
ये बुदबुदाहट मेरी
पहचानती हैं
यकीं न हो तो
पूछो इनसे
पैजनियां तुम्हारी
मुझे अब भी
अपना मानती हैं
© राइटर.Mr Malik Ji.....✍
पायल और
नन्हीं ये बिंदिया तुम्हारी
तुम सँग
इनसे भी दिल ने
दिल की बात
बताई है
तुम्हारे मन से ज्यादा
अपना ये
मुझे जानती हैं
तुम्हारे बक्सों में कैद
अक्सर ये
नाम मेरा पुकारतीं हैं
तुम सुन नहीं पाती
ज़िम्मेदारियों के शोर में
ये बुदबुदाहट मेरी
पहचानती हैं
यकीं न हो तो
पूछो इनसे
पैजनियां तुम्हारी
मुझे अब भी
अपना मानती हैं
© राइटर.Mr Malik Ji.....✍
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